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मिश्रबंधु

(३५) भाषा वक के साहित्यिक अालोचनात्मक लेख जिन्होंने पढ़े है, वे ही त का अंदाजा लगा सकते हैं कि लेखक का इस विषय पर । गहरा ज्ञान है। विश्वविद्यालय की सर्वोच्च परीक्षामों में "थ है । मूल्य सादी २॥), सलिद ३) बी० तुलसी-कृत रामायण का पायण हिंदुओं का कितना पवित्र ग्रंथ है ! इसका श्रादर चारवर्ष के कोने-कोने में, महलों से झोपड़ियों-पर्यंत, है । इसके पड़ों संस्करण निकल चुके हैं। पर वास्तव में अब तक विरले । संस्करण विलकुल शुन्छ और क्षेपक-रहित प्रकाशित हुए हैं। मायण-ऐसे पवित्र, अनमोल ग्रंथ की इस महान् कमी को बकर दुःख होता था, और इसी को पूरा करने के विचार हमने इसे खंडों में छापना शुरू किया है। भरसक पहिरंग और तरंग, दोनो को सुंदर बनाने की कोशिश की है । चित्रों की दरता और भावों पर पाठकों का प्रेम उमड़ता है, इसी कारण जने इसमें अनेक रंगीन और सादे चित्र भी दिए हैं, साथ-साय कथाओं का भी समावेश कर दिया गया है। संक्षेप में इतना ही का पर्याप्त होगा कि रामायण को सर्वप्रकार ले सुंदर एवं सर्च- भ बनाने का प्रयत्न किया गया है। हि रामायण २० खंडों में प्रकाशित हो रही है। प्रत्येक खंड में • पृष्ठ, वीलों सादे और ५-७ रंगीन चित्र रहेंगे । साइन सुधा -सा भव्य होगा। मूल्य प्रत्येक खंड का ११) होगा, अर्थात् कुल्ल कायय २१) फी होगी। कारण, उसमें १६०० से ऊपर पृष्ठ और कड़ों रंगीन तथा लादे चिन्न रहेंगे। हिंदी-प्रेमी-मात्र से अनुरोध है कि कृपा कर वे स्वयं ग्राहक बनें, और अपने इष्ट-मित्रों को भी बनाएँ । इस सहायता से हमारे है .