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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण रचना-रस-मंजरी और रस-तरंगिणी के आधार पर रस-प्रबोध- नामक ग्रंथ रचा। परिचय-वृंदजी के वंशज थे, और किशनगढ़ की कई लड़ाइयों में मौजूद थे। नाम-(१३८) रविषेणाचार्य ग्रंथ-पद्मपुराण । रचना-काल-सं. १८२३ । विवरण-ग्रंथ का विषय जैन-पुराण है। संभवतः यह ग्रंथ प्रकाशित हो चुका है। नाम-(°) हरिपुष्प। काल---सं० १८२४ ॥ ग्रंथ-भापा-श्रुति-बोध । विवरण-श्रीयुत भालेरावजी का कथन है कि उक्त ग्रंथ पिंगल- विषय पर है, और वह शाहाबाद के राजा मेघ के अनुरोध से कवि द्वारा रचा गया था। नाम-(६४१) नवलशाह । अंध-वर्धमान पुराण । रचना-काल-सं०१८२५। विवरण- -श्राप जैन-मतावलंबी थे। अंथ में जैन-दर्शनों का विवेचन यत्र-तत्र है। नाम-(६१२ ) जिनसेन। ग्रंथ-हरिवंश। रचना-काल-सं० १८२६ । विवरण-शालिवाहन-विरचित मूल-नय का अापने अनुवाद किया है। नाम--(९५५) उदयभान कायस्थ ।