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मिश्रबंधु

७२ मिशबंधु-विनोद रचना-काल-१६वीं शताब्दी का मध्य । विवरण-ग्रंथ में बहुतेरे पक्षियों के बोलचाल तथा ज्योतिप- विषयों के वर्णन हैं। नाम-(१९६२) हरोशिष्य । ग्रंथ-राजनीति। रचना-काल-१९वीं शताब्दी का मध्य काल । विवरण-चाणक्य-कृत राजनीति का छंदोबद्ध अनुवाद है। नाम-(१०६७) केशवप्रवरा संगमकर । ग्रंथ-स्फुट । कविता-काल-सं० १८४७ । विवरण-यह महादाजी संधिया के सेनापति और दिल्ली के किलेदार शमशेरबहादुर खंडेराव हरी के आश्रित थे। नाम-(१९६७) पंगु कवि । रचना-काल-सं० १८४७ । ग्रंथ-घूस-बत्तीसी। विवरण-यह जाति के चारण मेहमदपुर-ग्राम के निवासी थे। एक पैर से लँगड़े होने के कारण आपका नाम पंगु पड़ गया। श्राप पश्चात् करौली में जाकर बस गए, और महाराज करौली के श्राश्रय में रहकर अापने उक्त ग्रंथ उनके विनोदार्थ बनाया, ऐसा कहा जाता है। निम्नलिखित छंद से, जो उदाहरण के रूप में दिया गया है, उक्त ग्रंथ के रचना-काल का पता लगता है- संवत अठारे सो पै बीते वर्ष सैंतालीस, भादौं बदी पाँचै तिथि अनुपम आई है . पूरन कवित्त भए कृष्ण की कृपा सों सब, संकर सहाय बुद्धि शारदा बताई है।