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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद . रचना-काल-सं. १८५० के लगभग । परिचय-प्रतापसिंहर्जी की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठे । अँगरेज़ों की छेड़छाड़ के कारण पेंशन लेकर दिल्ली चले गए, और सम्राटू के कृपा-पात्र बने । श्राप कवि और पंडित थे। उदाहरण- आनंदबधाई माई, नंदजू के द्वारे । ब्रह्मा विषणु रुद्र धुन कीन्ही तिन लीन्हो अवतार । जन्मत ही घर-घर प्रति लक्ष्मी बाँधत बंदनवार, भूप कल्याण कृष्ण-जन्महि पै तन-मन कीन्हो वार । नाम-(१९) जमाल । ग्रंथ-मृग-कपोत-आख्यान (छंदोबद्धः गगल्प)। विवरण-महाशय भालेरावजी की धारणा है कि श्राप नादिर कवि (सं० १८५० ) के समकालीन थे। ० १३२ पर आए हुए कवि से श्राप भिन्न हैं। [-(१०८) नादिर। रचना-काल-सं० १८५० । ग्रंथ-सुदामा-चरित्र । विवरण -आप मुसलमान कवि थे। इन्होंने भक्ति-मार्ग पर रेखता-छंदों में उक्त ग्रंथ रवा । ( श्रीयुत भालेरावजी द्वारा ज्ञात) नाम-( १०८ ) बुधराव माधरीग्राम, इडरतावा, गुजरात। ग्रंथ-(१) यशवंत-चंद्रिका, (२) काव्य-दिवाकर, (३) अने- कार्थ-कोष । समय-१६वीं शताब्दी। नाम-