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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद नाम-(१) मथुराप्रसाद । ग्रंथ-रविवार-बत-कथा । रचना-काल-सं० १८५२ । विवरण-आप संभवतः जैनधर्मानुयायी थे । नाम-~-(१०६४ ) सामलदास । रचना-काल-सं० १८५२ । ग्रंथ-पंच-दंड-वार्ता (सिंहासनबत्तीसी का अनुवाद) विवरण-( श्रीयुत भालेरावजी द्वारा ज्ञात ) । -( १०६४ ) सहासिंह, गुजरात प्रांत । नाम--- म H रचना-काल-सं० १८५३ । ग्रंथ-छंद-गार-पिंगल । उदाहरण- छंद बोध यातें लहैं रसिकन को रस-सार नाम धरयो या ग्रंथ को ताते छंद-गार । भारद्वाज गोत्र पापकरण, सेवक ज्ञाति कहावै 'महासिंह' कवि नगर मेरते बसै परम सुख पावै । समवत लोक, पांडव, नग, चंद, नग मास धौल पंचमी सुकुज बार ठानियो; छंद को श्रृंगार नाम ग्रंथ समापत भयो, नौ नगर सहर सुसन महँ मानियो । नाम--(११३८ ) रतनेश, शिवपुरो (रियासत ग्वालियर)। ग्रंथ-कांताभूषण । रचना-काल-सं० १८५६ । विवरण--महाशय भालेरावजी का कथन है कि उक्त ग्रंथ में