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मिश्रबंधु

मिश्नबंधु-विनोद नाम-(१९१८ ) चावड़ीजी (रानी)। समय-सं० १८६०। ग्रंथ-स्फुट छंद । विवरण-यह जोधपुर के महाराज मानसिंह की दूसरी रानी तथा गुजरातवाले माणसा के ठाकुर साहव की कन्या थीं। नाम-(११५८) राड़धड़ीजी ( रानी)। काल-सं० १९६० ग्रंथ-स्फुट कविताएँ। विवरण–यह मारवाड़ के अंतर्गत राइधड़ा के राना की पुत्री थीं । इनका विवाह सिरोही के राव से हुआ था। उदाहरण- टूके - टूके केतकी, झिरने झिरने जाय; अर्बुद की छवि देखता, और न सालै दाय । नाम-( १६६ ) वत्सराज गिरि, काशी। नथ--गीता की गद्यात्मक टीका । रचना-काल-सं० १८६१ । नाम-( ११७० ) मुक्तानंद (स्वामो), ग्राम अमरेली, काठियावाड़। रचना-काल-सं० १८६२ । मृत्यु-काल-सं० १८८२ । ग्रंथ-(१) मुकुंदबावनी, ( २ ) विवेक - चिंतामणि, (३) पंचरल, (४) शिक्षा-पत्री, (१) श्रीकृष्ण-महिमाष्टक, (६) रुक्मिणी-विवाह, (७) दशमस्कंध, (८) विदुरनीति । विवरण--श्राप जाति के सरवरिया ब्राह्मण थे। इनकी माता राधावाई तथा नाना भक्त कवि मूलदास भी हिंदी-काव्यानुरागी थे।