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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण 1 . आपके पूर्वाश्रम का नाम मुकंददास था, और आपने श्रीरामानंद स्वामी से दीक्षा ली थी। शांत-रस के श्राप प्रसिद्ध कवि कहे जाते हैं। उदाहरण- मन-मतंग वश करन, हरन मद-मोह उजागर; शरणागत सुख-खान, विरद सद्गुण के सागर । दुरग नाम पत्तन विशे, उनमत गंगा-तीर रचि विवेक-चिंतामणिहु, मुक्ति हरण-भव-पार । संवत पाठर व्यासिए, कृष्ण पक्ष गुरुवार । अगहन वदि एकादशी, ग्रंथ संपूरन सार । नाम -(१९७०) लालमणि दीवान । प्रथ-रस-प्रकाश। रचना-काल-सं० १८६२ विवरण-ग्रंथ में नवरसों का वर्णन है। नाम-(११७१) जवअनंत सूरि । ग्रंथ--स्वामिकात्र्तिकेय-अनुत्प्रेक्षा । रचना-काल-सं. १८६३ । विवरण-ग्रंथ में उत्प्रेक्षा श्रादि विषयों का अच्छा वर्णन दिया है। नाम-(११७२) मानसिंह, गुजरात-प्रांत । जन्म-काल-सं. १९३७ । रचना-काल-१८६३ । अंथ--(१) रस-कविता-संग्रह, (२) ज्ञान-सागर । विवरण--श्राप हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत, उर्दू, फारसी तथा गुजराती-भाषामों के भी अच्छे ज्ञाता थे। कहा जाता है, इन्होंने उद' में भी एक काव्य-ग्रंथ बनाया था।