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मिश्रबंधु

८६ मिश्रबंधु-विनोद शुक्रबार आषाढ़ सुदि, बहु दुंदुभी बर गाजि ।" विवरण-संभवतः यह महाशय महाराजा दौलतराव सिंधिया के दीवान 'पारखजी' थे । इनका मथुराजी में द्वारकानाथ का मंदिर बनवाना पाया जाता है । इनके कई पदों के अंत में पारख' का उल्लेख पाया जाता है। नाम-(१२१२)माणिकचंद । ग्रंथ-परमागमसार । रचना-काल-सं० १८७१ । विवरण-ग्रंथ का विषय जैन-तत्त्वज्ञान है। नाम-(१२१४) सरूपसिंह । ग्रंथ-उत्तरपुराण । रचना-काल-सं० १८७३ । विवरण-जैन-साहित्य में यह एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। भाषा उत्कृष्ट नाम-(१२१५) अचलसिंह। ग्रंथ-समरसार रचना-काल-सं० १८७४ । विवरण-ग्रंथ ज्योतिष के विषय पर है। नाम-(१२२१) चंद्रभान । अंथ-कार्तिक-माहास्य । रचना-काल-सं० १८७५ । विवरण-ग्रंथ में मालवीपन की झलक है। नाम~(१३२५) प्रवीन । काल-१६वीं शताब्दी का उत्तरार्ध । ग्रंथ-स्वप्नाध्याय (छंदोबद्ध)। है।