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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण विवरण:-श्रीयुत भालेरावजी के कथनानुसार श्रापका समय लिखा गया है। नाम-(१९६१) दीनदयाल, ढंडार (जयपुर-राज्य)। ग्रंथ-बुधजन-सतसैया। रचना-काल-१८७६ । कवि ने इस विपय में स्वयं लिखा है- "संवत् अठारह से असी, एक बरस ते घाट ; जेठ कृष्ण रवि अष्टमी, हुयो सतसई पाठ।" विवरण-ग्रंथ में व्यावहारिक बातों का वर्णन है। नाम-(१७६७ ) जीवनदास, बहादुरगढ़ । ग्रंथ-पंचकल्याण । रचना-काल--सं० १९९० विवरण-आप जैन-धर्मानुयायी थे। नाम-(२२७५) वली हाजी, ग्राम कोलारस (नरवर)। ग्रंथ-हाजीवलीनामा । रचना-काल-सं० १९८० । विवरण-~याप मुसलमान थे। सूफ़ी होने के कारण आपने हिंदू- तत्वज्ञान का अच्छा अध्ययन किया था । आपने ग्रंथ में तत्वज्ञान पर अच्छे भाव कहे हैं। नाम ---( १२६° ) गणधर सूरि । ---श्रात्मानुशासन रचना-काल-सं० १८८ विवरण-नथ जैन-तत्वज्ञान पर है। ) पन्नालाल । अंथ-पाहुइ-ग्रंथ। रचना-काल-सं. १८१1 ग्रंथ---- 1 १.८॥