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मिश्रबंधु

55 नाम- मिश्रबंधु-विनोद विवरण-कुंद कुंदाचार्य-कृत मूल-ग्रंथ का यह अनुवाद है। ग्रंथ का विषय जैन-दर्शन-शास्त्र है। नाम-(१२८५ ) लुकमान हकीम । ग्रंथ-(१) नसीहतनामा ( अनुवादित ), (२) मुग़ल- पुराण, (३) सुखदेव-लीला, (४) वैद्यक । रचना-काल-सं० १८८२ । नाम-(१९८६ ) गुणभद्र सूरि । ग्रंथ-प्रात्मानुशासन । रचना-काल-सं०१८८३ । विवरण-मूल-ग्रंथ का गद्य में अनुवाद है । ग्रंथ में जैन-दर्शन के अनुसार तत्वज्ञान का वर्णन है। -(१२६०) हरि, शाहाबाद ( कोटा-राज्य)। अंथ-रसमंजरी। कविता-काल-सं० १८.३ । ग्रंथ-लेखन-काल के उपलक्ष में कवि ने निम्नलिखित छंद दिया है- त्रिविवसु रूप सुसंवत नभ सित पांचे पुष्यादित्य तादिन किए प्रारंभ श्रुतिति बोध सुभग रसमंजरी । विवरण - कवि ने अपने आश्रयदाता की गुणग्राहकता का अच्छा वर्णन किया है। संभवतः यह कोटा-राज्य के प्राश्रित थे। इसी नाम के दूसरे कवि विनोद के द्वितीय भाग में हैं ( देखो नं० ८५३)। नाम-( १२६१ ) निश्चलदास, बूंदी। ग्रंथ-(१) विचार-सागर, (२) वृत्तप्रभाकर । विवरण-जाति के श्राप चारण थे, किंतु साधु हो गए, ऐसा कहा जाता है । उक्त दोनो ग्रंथ इन्होंने बूदी-नरेश महाराजा राम- सिंहजी के श्राश्रय में रहकर बनाए । 5