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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण कर नाम---( १८) परमसुख सिंघई। ग्रंथ-नसीहतनामा । रचना-काल-सं० १९८७ विवरण-ग्रंथ में व्यावहारिक बातों का वर्णन है। नाम---( १३०६ ) माणिकदास । थ-राम-रसायन । रचना-काल-सं० १९८७ । विवरण----ग्रंथ में राम-नाम-स्मरण का महत्त्व वर्णित है। नाम-(१३१७ ) दोनदर्वेश, काठियावाड़। कविता-काल-सं०१८८८। ग्रंथ-स्फुट कविताएँ । विवरण- -आप जानि के लुहार तथा बाल साधु के शिष्य थे। विनोद में नं० १२२५ पर इसी नाम के एक मुसलमान बुंदेलखंडी कवि और पा चुके हैं, किंतु वह इन महाशय से पृथक् हैं । यह हिंद और मुसलमान में भेद नहीं मानते थे । इनही भाषा गुजराती- मिश्रित हुआ करती थी, और रचनाओं में प्राप्यात्मिक साव की झलक रहती थी। नाम---(१८११) दुलीचंद । अंध-मोक्ष-मार्ग-प्रकाश। रचना-काल-सं० १८१०। विवरण---ग्रंथ वैराग्य और नीति पर है। उदाहरण- मिलि-मिलि मुंडनि निकंजन पधारा करें, नंदन सुधारा करें चंदन दलान की ; पर अरिबिंदन की माला गुहि जरा करें तुलसी गुलाव मध्य कुंचित कशान की।