पृष्ठ:मुद्राराक्षस.djvu/११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ५ )

उसका कई बार अभिनय भी हो चुका है। पं० सत्यनारायण कविरत्न कृत मालती माधव और उत्तरराम चरित्र के अनुवाद उत्तम हैं। स्वर्गवासी बा० कृष्णचन्द्र जी ने भी उत्तररामचरित्र का अच्छा गद्याद्यस्य अनुवाद अभिनय की दृष्टि से किया है।

इधर कुछ वर्षों से अनुवाद की ऐनी धू। मची है कि बंगला साहित्य के नाटकों में से ऐसे ही कोई भाग्यहीन बचे होंगे जिनका अनुवाद हिंदी में न हो चुका हो । चा० जयशंकर प्रसाद ने तेरह मौलिक नाटकों की रचना की है जिनमें अजातशत्रु, जन्मेजय और चंद्रगुप्त अच्छे हैं !*

३-मूल-नाटककार-परिचय

मुद्राराक्षस के रचयिता के नाम तथा उनके पिता और पितामह के नाम- शान के लिए साहित्य प्रेमियों को नाटयकला के उन श्राचार्यों को अनेकानेक धन्यवाद देना चाहिये जिन्होंने यह आवश्यक नियम बना दिया है कि प्रस्तावना में कवि-परिचय अवश्य दिया जाय। यह नियम प्रार्च न, अर्वाचीन तथा अाधुनिक समय तक के नाटकों में वेदवाक्य के समान माना गया है पर यह प्रथा पहले बंगला में उठा दी गई और उनके अनतर अन्य भारतीय भाषाओं से भी उठती चली जाती है । मुद्राराक्षम के प्रणेता का नाम विशाखदत्त या विशाखदेव है। इनके पिता का नाम महाराज पृथु और पितामह का नाम सामंत बटेश्वरदत्त है। नाटक की प्रस्तावना से केवल इतना ही पता चलता है। इनकी एक अन्य कृति देवीचंद्रगुप्तम् का पता लगा है, जिसके अब तक १२ उद्धरण मिले हैं। पूरी प्रति अभी तक अप्राप्य है । जर्मन देशीय प्रोफेसर हिलड ने भारत में भ्रमण कर मुद्राराक्षस की सभी प्राप्य प्रतियों का मिलान किया है, जिनमें कुछ प्रतियों में विशाखदत्त के पिता का नाम भास्कर दत्त भी लिखा मिला है।

प्रोफेसर विल्सन ने महागज पृथु को चौहानवंशीय राय पिथौरा या 'पृथ्वीराज साबित करने का प्रयत्न किया था पर वे स्वयं उनकी पदवियों तथा उनके पिताओं के नामों की विभिन्नता का किसी प्रकार मंडन न कर


  • भारतीय नाट्यकला तथा हिंदी नाटकों के इतिहास के विशेष परिचय के

लिए संपादक द्वारा लिखित 'हिंदी नाट्य साहित्य' देखिए।