पृष्ठ:मुद्राराक्षस.djvu/२५७

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परिशिष्ट ग बहुत दिनों तक ये युद्धप्रिय ब्राह्मण यहाँ राज्य करते रहे किन्तु जैन पंडित, जो ८०० वर्ष ईसा मसीह के पूर्व हुमा है, लिखवा कि इस देश के प्राचीन राजा को मग नामक राजा ने जोत कर .. काल दिया। कहते हैं, कि बिहार के पास बारागंज में इसके किले चिह्न भी है। यूनानो विद्वानों और वायु पुराण के मत मे उदयाश्व ने मगध राज्य संस्थापन किया । इसका प्रमय ५५० ई.... पूर्ववतलाते हैं और चंद्रगुप्त को इससे तेरहवाँ राजा मानते हैं। यूनानी लोगों ने सोन का नाम Frannobaos (इरनोबामोस ) लिखा है । यह शब्द हिरण्यवाह का अपभ्रंश है । (हिरण्यवाह) स्वर्ण- नंद और शोल का अपभ्रश सोन है। मेगास्थनीज अपने लेख में पटने के नगर को ८० स्टेडिआ (आठ मीत ) लम्बा और १५ चौड़ा .. लिखता है जिससे स्पष्ट होता है कि पटना पूर्वकाल ही से लम्बा नगर है । उसने उस समय नगर के चारों भोर ३० फुट गहिरी जाति बिरादरी के उनके साथ श्राहार व्यवहार परित्याग करने से वे सब कोई राजा जरासंघ के पास जाकर उनके कर्माध्यक्ष के नाम पर नालिश करके उन्होंने श्राद्योगांत सब वृत्तांत प्रकाश कर दिया। जिस पर राना ने लाचार होकर उन्हीं के गुजरान के लिए अपने अधिकार में भूमि देकर उन सबों को बसाया । इसी से उन खानदानों को आज तक भूमिहार ब्राम्हण कहते हैं। और एक प्रमाण इसका यह है कि भूमिहारों के वासस्थान उस समय के मगध राज्य की सीमा के बाहर और अन्यत्र प्रायः “दृष्टिगोचर भी होते हैं। इसके सिवाय विहारदर्पण में भूमिहारों की उत्पचि लिखी है। जिस पटने का वर्णन इस काल के यनानियों ने उस समय इस धूम से किया है उसकी वर्तमान स्थिति यह है । पटने का जिला २४° ५८ से २५० ४२ लैटिक और ८४°४४८००५' लौगि० पृथ्वी २१०१ मील समचतु कोण । १५१६६३८ मनुष्य संख्या । पटने की सीमा-उत्तर गंगा, पश्चिम सोन, पूर्व मुगेर का जिला और दक्षिण गया का जिला । नगर की बस्ती अब सवा तीन लाख मनुष्य और बावन हजार घर हैं। साढ़े आठ लाख न के लगभग बाहर से प्रतिवर्ष यहाँ माल पाता और पांच लाख मन के