पृष्ठ:मुद्राराक्षस.djvu/६४

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में अहेर खेलने गए और वहाँ तृषित होने पर रक्षकों को छोड़ कर मंत्री के साथ एक सुन्दर तालाब पर गए, जो एक बड़े वृक्ष की छाया में था। इसी के पास की पहाड़ी में पाताल कंदरा नामक गुफा है, जो पाताल जाने का रास्ता कहा जाता है। यहाँ शकटार ने राजा को तालाब में फेंक दिया और ऊपर से पत्थर डाल दिया। संख्या को राजा का घोड़ा लेकर राजधानी को लौटा और सूचना दी कि स्वामी रक्षकों को छोड़कर जंगल में चले गए तथा वे क्या हुए यह उसे ज्ञात नहीं। यह घोड़ा एक वृक्ष के नीचे चरता हुश्रा मिल गया। कुछ दिन अनंतर शकटार और एक अन्य राजमंत्री वक्रनास ने उग्रधन्वा को गद्दी पर बिठाया, जो नंद का सब से छोटा पुत्र था। युवक राजा को शकटार की सूचना से संतोष नहीं हुआ, इससे वह अन्य मंत्रियों से पूछताछ करता रहा पर उससे जब कुछ नहीं हुअा, तब उसने रासभा के सभी प्रधान पुरुषों को एकत्र किया और उन्हें मृत्युदंड की धमकी दो कि वे तीन दिन के भीतर उसके पिता की मृत्यु का ठीक समाचार लावें। इस धमकी ने काम किया। चौथे दिन उन्होंने सूचना दी कि शकटार ने बृद्ध राजा को मार डाला और उनका शव पाताल कंदरा के पास एक तालाब में पत्थर के नीचे दबा हुआ पड़ा है। उग्रघन्वा ने ऊँटों सहित मनुष्यों को तुरंत भेजा, जो शव और पत्थर दोनों ले श्राए । तब शकटार ने दोष मान लिया। इस पर वह सपरिवार एक छोटी कोठरी में बंद किया गया जिसका द्वार चुन दिया गया था और केवल भोजन देने भर मोखा खुला रहा । कुछ दिनों में सब मर गए केवल सबसे छोटा पुत्र विकटार बच गया, जिसे युवा राजा ने छुड़ा कर नौकर रख लिया। विकटार ने बदला लेने का निश्चिय किया। एक दिन राजा ने उसे श्राद्ध के लिए ब्राह्मण लाने को कहा। विकटार उद्धत स्वभाव के एक कुरूप ब्राह्मण को लिवा लाया कि राजा ऐसे ब्राह्मण को देखकर घृणा से उसका अपमान करेगा और वह शाप देगा । उसका यह षड़यंत्र ठीक उतरा। राजा ने उस ब्राह्मण को निकाल देने को श्राशा दी और उसने कठोर शाप देते हुए प्रतिज्ञा की कि जब तक वह उसका नाश न कर लेगा तब तक शिखा