११६ मुद्रा-राक्षस ( एक मनुष्य आता है) '. मनुष्य-अमात्य ! क्या आज्ञा है ? राक्षस-भद्र! शकटदास से कहो कि जब से कुमार ने हमको आभरण पहराया है तब से उनके सामने नंगे अंग जाना हमको उचित नहीं है। इससे जो तीन आभ- रण मोल लिये हैं उनमे से एक भेज दे। शत्रुओ से ऐसा घिर गया कि यदि उसके सिपाही साथ ही न पहुंचते । तो वह टुकडे टुकडे हो जाता।" वही मल्ली देश ही मुद्राराक्षस का मलय देश है यह सम्भव होता है। यद्यपि अगरेजी वोले यह देश कहाँ था इसका कुछ वर्णन नही करते किन्तु हिन्दुस्तान से लौटते समय यह देश उसको मिला था इससे अनुमान होता है कि कहीं बलूचिस्तान के पास होगा। आगे चल कर फिर लिखते हैं नदियों के मुहाने पर पहुंचने के पीछे उसको एक टापू मिला, जिसको उसने शिलोसतिस Scilloustis लिखा है पर अारियन (आर्य) लोग उस टापू को किलूता Cillutta कहते हैं।" क्या आश्चर्य है कि यही कुलूत हो। वह लोग यह भी लिखते हैं कि चन्द्रगुप्त ने छोटेपन में सिकन्दर को देखा था और उसके विषय में उसने यह अनुमति दी थी कि सिकन्दर यदि स्वभाव अपने वश मे रखता तो सारी पृथ्वी जीतता। अब इन पुस्तकों से राजानों के . नाम भी कुछ मिलाइए । पर्वतेश्वर और बर्बर यह दोनो शब्द Barb- arian. बर्बरियन के कैसे पास हैं। काश्मीरादि देश का राजा जिसके पंजाब अति निकट है पुष्कराक्ष ग्रीक लोगो के पोरस शब्द के पास है.। पुष्कराक्ष से पुसकरस ओर उससे पोरस हुश्रा हो तो क्या अाश्चर्य है। प्युकेसतस वा पुसेतस (जो सिकन्दर के पीछे पारस का गवर्नर हुआ था) भी पुष्कराक्ष के पास है किन्तु यहाँ पारस का राजा मेधाक्ष लिखा है। इन राजाओं का ठीक ठीक ग्रीक नाम या जो देश उनका विशाखदत्त ने लिखा उसको यूनान वाले उस समय क्या कहते थे यह निर्णय करना ,
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