पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१५५

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अंक स्थान-सूली देने का मसान (पहिला चांडाल अाता है) चॉडाल-हटो लोगो हटो, दूर हो भाइयो, दूर हो जो अपना प्राण, धन और कुल बचाना होतो दूर हो । राजा का विरोध यत्नपूर्वक छोड़ो। करि कै पथ्य विरोध इक, रोगी त्यागत प्रान । पै विरोध नृप सो किए, नसत सकुल नर जान ।। जो न मानो तो इस राजा के विरोधी को देखो जो स्त्री, पुत्र समेत यहाँ सूली देने को लाया जाता है (ऊपर देख कर ) क्या कहा ? कि इस चन्दनदास के छूटने का कुछ उपाय भी है ? भला इस विचारे के छूटने का।कौन उपाय है ? पर हॉ जो यह मंत्री राक्षस का कुटुम्ब दे दे तो छूट जाय । ( फिर ऊपर देख कर) क्या कहा कि यह शरणागतवत्सल प्राण देगा पर यह बुरा कर्म न करेगा? तो फिर इसकी बुरी गति होगी, क्योंकि बचने का तो वही एक उपाय है। (कंधे पर सूली रक्खे मृत्यु का कपडा पहिने चन्दनदास उसकी स्त्री और पुत्र और दूसरा चॉडाल अाते हैं।) स्त्री-हाय हाय ! जो हम लोग नित्य अपनी बात बिगड़ने के डर से फूक फूक कर पैर रखते थे उन्हीं हम लोगों की चोरो की भॉति मृत्यु होती है। काल देवता को