पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१६६

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उपसंहार क w- 5 - इस नाटक में आदि अन्त तथा अङ्कों के विश्रामस्थल में रंगशाला में ये गीत गाने चाहिएँ । यथा- (सब के पूर्व मङ्गलाचरण मे) : जय जय जगदीस राम, श्याम धाम पूर्णकाम, श्रानन्द घन ब्रह्मा विष्णु, सत् चित सुखकारी। कंस रावनादिकाल, सतत- सनत भक्तपाल, सोभित गल मुक्तमाल, दीनतापहारी ।। प्रेम भरन पाप हरन, 'असरन जनसरन चरन, सुखहि करन दुखहि दरन, वृन्दावन चारी। रमावास जंगनिवास, राम रमन समनत्रास, विनवतहरिचन्ददास, जय जय गिरिधारी ॥१॥ । ( प्रस्तावना के अन्त मे प्रथम अङ्क के प्रारम्भ में) (चाल लखनऊ की ठुमरी "शहजादे आलम तेरे लिये" इस चाल का) जिनके हितकारक पण्डित है तिनको, कहा सत्रुन को डर है । समुझै जग में सब नीतिन्ह जो तिन्हें दुर्ग बिदेस मनो घर है।। जिन मित्रता राखी है लायक सौं तिनको तिनकाहू महासर है। जिनकी परतिज्ञा टरै न कयौ तिनकी जय ही सब ही थर है॥२॥ (प्रथम अङ्क की समाप्ति और दूसरे अङ्क के प्रारम्भ मे) - -