पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१८

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मुद्रा-राक्षस नाटक

पूर्व कथा

पूर्व काल में भारतवर्ष में मगध राज्य एक भारी जनस्थान था। जरासन्ध आदि अनेक, प्रसिद्ध पुरुवंशी राजा यहाँ बड़े प्रसिद्ध हुए हैं। इस देश की राजधानी पाटलिपुत्र अथवा-पुष्पपुर थी। इन लोगों ने अपना प्रताप और शौर्य इतना बढ़ाया था कि आज तक इनका नाम भूमण्डल पर प्रसिद्ध है। किन्तु कालचक्र बड़ा प्रबल है वह किसी को भी एक अवस्था में नहीं, रहने देता। अन्त में[१] नंदवंश ने पौरवों को निकाल कर वहाँ अपनी जय पताका उड़ाई; वरंच सारे भारतवर्ष में अपना प्रवल प्रताप विस्तारित कर दिया।

इतिहास ग्रन्थों में लिखा है कि एक सौ अड़तीस वर्ष नन्दवंश ने मगध देश का राज्य किया। इसी वंश में महानन्द का जन्म हुआ। यह बड़ा प्रसिद्ध और अत्यन्त प्रतापशाली राजा हुआ। जब जगद्विजयी सिकन्दर (अलक्षेन्द्र) ने भारतवर्ष पर चढ़ाई की थी तब असंख्थ हाथी, बीस हजार सवार और


  1. नन्दवंश सम्मिलित क्षत्रियो का वंश था। ये लोग शुद्ध क्षत्रिय नहीं थे।