पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१८२

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उपसंहार ख

प्रजा ने घबराकर विशाला की वेश्या के बेटे शिशुनाग मन्त्री को गद्दी पर बैठा दिया। यह बड़ा बुद्धिमान था। इसके बेटे काल अशोक ने, जिसका नाम ब्राह्मणों ने काकवर्ण भी लिखा है, पटना अपनी राजधानी बनाया।

जब सिकन्दर का सेनापति वाविल का बादशाह सिल्यूकस सूवेदारो के तदारुक को आया, पटने से सिन्धु किनारे तक नन्द के बेटे चन्द्रगुप्त के अमल दखल मे पाया, बड़ा बहादुर था, शेर ने इसका पसीना चाटा था और जङ्गला हाथी ने इसके सामने सिर झुका दिया था।

पुराणों में बिम्बसार को शिशुनाग के बेटे काकवर्ण का पर- पोता बतलाया है और नन्दिवर्द्धन को विम्बसार के बेटे अजात- शत्रु का परपोता; और कहा है कि नन्दिवर्द्धन का बेटा महानन्द का बेटा सूद्री से महापद्मनन्द और इसी महापद्मनन्द और उसके आठ लड़को के बाद, जिन्हें नवनन्द कहते हैं, चन्द्रगुप्त मौर्य गद्दी पर बैठा। बौद्ध कहते हैं कि लक्षशिला के रहनेवाले चाणक्य ब्राह्मण ने धननन्द को मार के चन्द्रगुप्त को राजसिहासन पर बैठाया और वह मोरिया नगर के राजा का लड़का था और उसी जाति का था जिसमें शाक्यमुनि गौतम पैदा हुआ।

मेगास्थनीज लिखता है कि पहाड़ों में शिव और मैदान में विष्णु पुजते हैं। पुजारी अपने बदन रंग★ कर और सिर में फूलों की माला लपेट कर घण्टा और झॉझ बजाते हैं। एक वर्ण का श्रादमी दूसरे वर्ण की स्त्री से व्याह नहीं कर सकता है और पेशा भी दूसरे का इख्तिहार नहीं कर सकता है। हिन्दू घुटने तक जामा पहनते हैं और सिर और कन्धों पर कपड़ा † रखते हैं। जूते उन


  • चन्दन इत्यादि लगाकर।

†अर्थात् पगड़ी दुपट्टा।