पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१९२

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नाटक में आये हुए पात्रों का परिचय

वीभत्सक―यह राक्षस की आज्ञा से चन्द्रगुप्त को सोते में मारने को गया था। परन्तु यह जैसे ही कुछ आदमी लेकर सुरँग में छिपा था वैसे ही चाणक्य शयनागार में गया, वहाँ दरार से चींटी को चावल लाते हुए देख सन्देह में पड़ गया और दीवार में आग लगवा दी।

उन्दुर―यह राक्षस का चर था। राक्षस मलयकेतु की सेना से बिगड़ कर इसी के साथ चन्दनदास को छुड़ाने आया था।

पर्वतक―अफगानिस्तान या उसके आस-पास का कोई लोभी राजा था। चाणक्य ने इसकी सहायता से नन्दवंश के नाश के पश्चात् राक्षस मन्त्री, को हराया था। चूँकि चाणक्य ने कुसुमपुर को जीतने के लिये आधा राज्य बॉट देने की प्रतिज्ञा की थी किन्तु जब राक्षस मन्त्री हार गया तो उसने पर्वतक को- अपनी ओर फोड़ लिया। विषकन्या (जो राक्षस ने चन्द्रगुप्त के पास उसे मारने को भेजी जो) चाणक्य ने पर्वतक के पास भेज कर मरवा डाला।

वैरोधक―यह पर्वतक का भाई था। भाई के मारने के पीछे वसे ही चाणक्य ने आधा राज्य इसको देने के लिये भीतर बुलाया कि बर्बर द्वारा जो चन्द्रगुप्त के मारने को बैठा था मारा गया।

विष्याशर्म्मा वा निपुणक―चाणक्य का सहपाठी शुक्र- नीति और चौंसठ कला से ज्योतिष मे बड़ा प्रवीण था। यह