पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१९३

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3 १० ] निपुणक के नाम से चाणक्य का भेदिया था। यही राक्षस की अँगूठी लाया था और चाणक्य को दी थी। सिद्धार्थक-चाणक्य का भेदिया था। इसको शकटदास का मिन बना कर राक्षस के पास रक्खा था। समिद्धार्थक-सिद्धार्थक का मित्र था । उसने अपने मित्र के . साथ चाण्डाल का भेष बनाया था। भागुरायण-यह चाणक्य का भेदिया.तथा ऊपर से मलय- केतु का मित्र था। इसने अपने को, छिपाते हुए समय २ पर मलयकेतु को ऐसा सुझाया कि राक्षस में और मलयकेतु में फूट पर जाय। भासुरक-भागुरायण का सेवक था। यह केवल आने वालों की, खबर दिया करता था। जीवसिद्धि क्षपणक या भदन्त-जैनी फकीर बना हुआ चाणक्य का भेदिया था। यह ज्योतिषी भी था। विजयवर्मा-यह चन्द्रगुप्त.. की फौज में से चाणक्य के सिखाने से मलयकेतु के यहाँ चला गया था। शारगरव-चाणक्य का. शिष्य । अचलदत्त कायस्थ-चन्द्रगुप्त का मुन्शी था। शोणोत्तरि-चन्द्रगुप्त का द्वारपाल । विजयपाल दुर्गपाल- -चन्द्रगुप्त के मुख्य सेवक ।, विश्वावसु-ब्राह्मण जिसको चन्द्रगुप्त ने गहने पुन्य किये ये कापाल पाशिक- - । दएड पाशिक) सूली देने वाले चाण्डाल