पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/३३

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मुद्रा-राक्षस

कि पर्वतक और चन्द्रगुप्त दोनों समान बन्धु थे, इससे राक्षस ने विषकन्या भेज कर पर्वतक को मार डाला और नगर के लोगों के चित्त पर, जिनको यह सब गुप्त अनुसन्धि न मालूम थी, इस बात का निश्चय भी करा दिया।

इसके पीछे चाणक्य और राक्षस मे परस्पर नीति की जो चोटें चली हैं उसी का इस नाटक में वर्णन है।





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