पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/९

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कहानी-लेखक जब दस-पन्द्रह कहानियांँ लिख लेता है तो वे पुस्तकाकार में प्रकाशित हो जाती हैं। इस तरह के कितने ही कहानी-संग्रह कहानी-लेखकों के मिल सकते हैं । इन संग्रहों में कला की दृष्टि से सभी स्तरों की कहानियों का समावेश होता है। किन्तु लेखक की कला पूर्ण परिपक्व हो चुकी हो और सैकड़ों कहानियाँ लिख चुका हो, उनमें से वह अपनी पसन्द की कुछ कहानिया छाट दे, उनकी पृष्ठभूमि आदि पर स्वयं प्रकाश डाले, तो ऐसा सकलन पाठक और आलोचक दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।

प्रस्तुत संकलन 'मेरी प्रिय कहानिया' में आचार्य चतुरसेन को अपनी पसन्द की तीस कहानियां हैं। आचार्य जी ने स्वयं विषयानुसार इनका विभाजन किया है और इनके सम्बन्ध मे टिप्पणियां भी लिखी हैं। हमारे विचार में इस प्रकार के संकलन की उपादेयता निर्विवाद है।

इसी प्रकार अन्य श्रेष्ठ कहानी-लेखकों की प्रिय कहानिया भी प्रकाशित की जा रही है। हमें पूर्ण विश्वास है, इस नए आयोजन का साहित्य-जगत् में अभिनन्दन होगा।

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