पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१०३

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अधिकारियों ने खब नाम कमाया है। बम्बई, गुजरात, मजमेर, मारवाड़ा, तथा मध्यभारत, ये प्रान्त दूसरी ओर थे और अभी तक इस प्रकार की विशेष बाधा से बच सकने के कारण बधाई के पात्र हैं। मध्य प्रान्त (हिन्दी भाषी तथा मराठी-भाषी) वरार, महाराष्ट्र करनाटक, और नामिल नाडू, इन प्रान्तों में भी, विशेष कर मदिरा की दुकानों पर धरना बैठानेके सम्बन्ध मे दमन-नीतिका प्रसार हुआ। तामिल नाड् तथा आन्ध्र प्रान्त में जमानतवालो धाराओंका स्वच्छन्द प्रयोग किया गया। बिहार के मुजफ्फरपुर तथा संथाल परगना जिलों में भी खब अत्याचार हुआ, किन्तु साधारणतया इस प्रान्तमें शान्ति रही। केरल प्रान्त की स्थिति, जिसके अन्तर्गत मोपलों की निवामभूमि हैं. एक ओर तो धर्मोंन्मत्त जनता की अमानुषिक करताओ के कारण और दूसरी ओर कानून और अनन की क्रोधोन्मत्त शक्तियो के कारण मभी प्रान्तों से निराली है। इसके मिवा मालावार ट्रेनकी विख्यात दुर्घटना तो, मनुष्यों के प्राणों की जघन्य उपेक्षा के कारण, देश के किसी भी भाग मे जनता द्वारा कीगयी बरी मे बरी ज्यादतियो को भी सहज ही मात करती हैं। उत्कल और आन्धु प्रान्त में भी कठोर दमन- नीति काफी मात्रामें प्रचलित थी-इनका नम्बर उत्तरी प्रान्तों के बाद ही समझना चाहिये।

दमननीति की भयंकर विभिन्नताएं

समूचे देश के विचार से अमहयोग के विरुद्ध भिन्न भिन्न प्रकार 'की काररवाइयों का संक्षिप्त उल्लेख थोडे से छोटे छोटे वाक्यों