पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१०४

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द्वारा किया जा सकता है। समस्त भारत में प्रायः सभी अधिकारियों को गांधी टोपी और खद्दर के कपड़े पहनने वाले अपराधी नजर आते थे। ये लोग खासकर तरह तरहके तिरस्कारों और अपमानों के तथा भूठ मूठ ही मुकदमा चलाये जाने के योग्य समझे जाते थे। स्वयंसेवकों पर आक्रमण करना, उनके कपड़े उतार डालना और जाई के महीनों में गांवों के तालाबों में उन्हें हुषकी खिलाना, इत्यादि कुछ इस प्रकार की दिल्लगी के उदाहरण हैं जो हानिप्रद न थे और जिसे पुलिसवाले अपने ही विनोद के लिये किया करते थे। हथियारों का लाइसन्स लौटा लेना,जागोगे, वेतनों तथा इनामों को जब्त कर लेना खेत सींचने के लिये नहरों से पानी न देना, तथा तकाबी देन से इनकार करना इत्यादि नरम सजाय उन लोगों को दी जाती थीं जिन पर कोई विशेष अभियाग नही लगाया गया। कांग्रेस और खिलाफत के तथा राष्ट्रीय पाठशालाओं के भी दफ्तरों और कागजों को विनष्ट कर डालना, मकानों तथा फसलों को जला डालना तथा माल असबाब लूट लेना, इत्यादि उपायों का प्रयोग अधिक हठीले विरोधियों के लिये किया जाता था। स्त्रियों के शरीर पर से जबरदस्ती गहने उतार लेने, उनपर अभद्रजनोचित आक्रमण एवं असदव्यवहार करने तथा धार्मिक पुस्तको और अन्य पवित्र वस्तुओं का जलाने तथा पांवोंके नोचे कुचलने के भो कई उदाहरण पाये गये हैं। उत्कल प्रान्तके एक अति राजभक्त जमींदार की, अपनी रियासस में शिकार खेलने,