पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/११५

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सर्वसाधारण के मस्तिष्क में अभी ज्यों को त्यों बनी है। अभियुता के कठघरे में खड़े होकर उन्होंने जो उच्च भाव प्रगट किये थे वे लोगों की आत्मा के भीतर भलीभांति प्रविष्ट हो गये हैं। महात्माजी मुसकुराते हुए जेलखाने गये और जनता ने उम अनुकरणीय आत्म-संयम तथा पूर्ण अहिंसा का पालन कर जिनपर महात्माजी का इतना अधिक अनुगग था,इनके प्रति सम्मान-सूचक अपना भक्ति भाव प्रगट किया। उन्होंने अभियोग चलते समय जो सुप्रसिद्ध वक्तय उपस्थित किया था उससे अधिक कुछ कहना अनावश्यक है।

महात्माजी की अनुपस्थिति

महात्माजी के अतिरिक्त और किसी मनुष्य में यह सामथ्य न थी कि वह उस शिथिलता को दूर कर सकता जो बारडोली तथा दिल्ली के प्रस्तावों के कारण ममस्त कार्यकर्ताओं पर छा गयी थो, ओर न कोई कांग्रेस को गति बदलकर ही उसे उक्त प्रस्तावों द्वारा निर्धारित मार्ग पर ला सकता था। यदि उन्हें देश में विद्युत् गति से एक बार भ्रमण करने का अवसर भर दे दिया गया हाता तो गत छः मासोंका इतिहास और ही रूप में लिखा जाता। किन्तु यहां पर जो कुछ है उसी का विचार करना है, क्या हुआ होता इसका नहीं। यदि महास्मा गान्धी पकड़े न जाते और जेल न भेजे जाते तो क्या हुआ होता, इसकी जांच करने से कोई लाम नहीं है। उसी प्रकार