पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/११६

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बारडोली तथा दिल्ली मे स्वीकृत किये गये उक्त प्रस्तावों के औचित्य अथवा अनौचित्यक सम्बन्ध में जो अनुकूल-प्रतिकूल मत प्रगट किये गये हैं उनपर विवाद करना भी व्यर्थ है। जिम मुख्य पातकी उपेक्षा नहीं की जा सकती वह यह है कि बारडोली और दिल्ली के निश्चयों के वाद एवं इसके अनन्तर महामाजी के केद होने के बाद मारे देश में व्यापक शिथिलता छा गयी। उमशिथिलता के कारण नग्मदलवालों तथा शामक मण्डल में जो आशाये उत्पन्न हो गयी हैं वे कहां तक उचित है,यह अलग बात है।

कुछ कार्य कत्तीऔ में काफी विश्वास की कमी

इस कृत्रिम शिथिलता का एकमात्र कारण उन अधिकांश कार्यकर्ता- ओं की ओरसे रचनात्मक कार्यक्रम में पर्याप्त विश्वास का अभाव था जिन्हे उसे पूरा कराना था। उत्साह का सहसा अवगंध कर दिये जाने से उत्पन्न निराशा के कारण उक्त कार्यक्रम की अप्रगट महती शनिकी ओर लोगोंका ध्यान ही न गया। यह मान लिया गया है कि उसके लिये अभी कोई जल्दी नहीं है,क्योंकि उसकी पूर्ति के निमित्त कई वर्षोंनक स्थिर रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। कार्य कर्ताओं की इस अन्यमनस्कता की प्रतिच्छाया किसो अंशतक सर्वसाधारण पर भी दष्टिगोचर हुई, किन्तु राष्ट्रीय सभा तथा महात्मा गान्धी के. उपदेशों में उनका विश्वास वैसा ही बना रहा।