पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१४९

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या गया। तत्काल इसका फल यह हुआ कि मदिराकी खपत- में मार्केकी कमी हुई, किन्तु पहरा हटा लेनेके बाद परिस्थिति फिर बदल गयो ओर यह दुर्यसन पुनः रोजोंसे प्रचलित हो गया। किन्तु मद्यपानकी बराइयोंकी ओर सभी श्रेणियोंके लोगोंका ध्यान आकर्षित करनेमें जैसी सफलता इस आन्दोलनको हुई है वैसी पहलेके किसी आन्दोलनको नहीं हुई।


भिन्न भिन्न जातियोंकी एकता


इङ्गलैण्डके तत्कालीन प्रधान सचिव (श्री लायड जार्ज) ने हालमें जो व्याख्यान कामन्स सभामें दिया था उसमें भारतीय सलिल सर्विसको भविष्य में भो सर्वदा कायम रखनेके समर्थनमें कहा था-


“भारतमें जातियों तथा धार्मिक विश्वासियों में इतने विभंद है कि शायद सारे यूरोपमें भी उतने न होंगे। वहां देशको विभक्त करनेवाली अनेक शक्तियां विद्यमान हैं और यदि ब्रिटन अपना प्रबल हाथ वहांसे हटा ले तो इसका परिणाम भेद-भाव, लड़ाई भागहों और अराजकताके सिवा और कुछ न होगा।",


ब्रिटनका प्रबल हाथ' भारतका ब्रिटिश सिविल कर्मचारीवर्ग हैं। 'भेद भाव, लड़ाई-झगड़ों और अराजकता' का कारण दूर कीजिये तो उन प्रसिद्ध कर्मचारियोंको कायम रखनेका एकमात्र समर्थक कारण भी दूर हो जायगा। इसमें सन्देह नहीं कि "भेद-भाव लड़ाई-भगड़ों और अराजकता' का एकमात्र कारण