पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१६०

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निर्णय करनेके लिये २७ फरवरीको अखिल भारतवर्षीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक हुई । उस बैठक में यह निर्णय हुआ कि अप्रेल मास तकके लिये दोनोंदल अपने भिन्न मतोंका प्रचार छोड़कर चन्दासंग्रह करने तथा स्वयंसेवक दलका संगठन करनेमें हा अपनी शक्ति लगामें । देखें इस समझौतेका क्या फल निकलता है।

यहा आजतकका स्वराज्यका इतिहास है । देखें दोनों दल देशको किस तरह ले जाते हैं और मतभेदका क्या परिणाम निलकता है ।

यही असहयोग आन्दालनका संक्षिप्त इतिहास है। यङ्ग इण्डिया के लेखों में पाठको को इसका विस्तृत विवरण मिलेगा।

उपसंहार

इन दो वर्षों मे जा जागृति हुई है, देशको जो प्रकाश मिला है उसको उपलब्धि शायद १५० के ब्रिटिश शासनसे भा नहीं हो सकी थी। नागपूर कांग्रेस के अधिवेशन के समाप्त होने के थोड़े ही दिन बाद कांग्रेस का सम्बाद नगर नगर और घर घर पहुंच गया। इस समय देश निरीह अवस्खा में निराशा के घोर अन्धकार में पड़ा था। पर इस आन्दोलन मे जादृका काम किया। निराशाको भो आशाकी मोटी रेखा दीखने लगी। राष्ट्रका भाग्यसूर्य गगनमें तपने लगे। लोगों ने राष्टके बलको भली भांति समझ लिया। उन्हें यह