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॥ वन्देमातरम् ॥
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परिचय
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जिस समय यंग इण्डियाका स्थान बम्बईसी अहमदाबाया गया
था उस समय अक्तूबर १६१ के अंकमें महात्माजीने निम्ननिन्वित
लेख लिखा था:-
इम अङ्कसे यङ्ग इण्डिया नया रूप धारण करता है। श्रीयुत हानिमैनके निर्वासन और बम्बे क्रानिकलका गला घूटने के बादसे यह पत्र अर्धसाप्ताहिक रूपमें प्रकाशित होता रहा। जबसे बम्बे क्रानिकल पुन प्रकाशित होने लगा है, हम और इसके सञ्चाल. कगण इसे पुन: साप्ताहिक कर देनेका विचार कर रहे थे। गुजरातीके नवजीवनको साप्ताहिकका रूप देकर उसे हमारे हाथमें दे देनेसे उस विचारका शीघ्र फैसला हो गया, क्योंकि एक साथ एक साताहिक और एक अर्ध साप्ताहिक पत्रका सम्पादन हमारे लिये अति कठिन कार्य है और साप्ताहिक यङ्ग इण्डिया उतना