पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१७८

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सत्याग्रहकी मीमांसा


अन्यत्र जानेका मुझे अधिकार नहीं दिया गया था। वहीं पर पुलिसके एक दलने मुझे गिरफ्तार कर गाड़ीसे उतार लिया। पुलिसके जिस सुपरिटेण्डेटने मुझे गिरफ्तार किया उसने मेरे साथ बड़ा अच्छा बर्ताव किया। वहांसे मैं सबसे पहली गाड़ीमे मथुरा लाया गया। वहांसे माल गाड़ीमें रवाना होकर दूसरे दिन प्रातःकाल सिवाई मधुपुर पहुंचा। यहांसे पेशावरसे आनेवाली बम्बई मेलमें सवार कराया गया और मुपरिटेण्डेण्ट वाउरिंग मेरे निरीक्षक हुए। ता० १० अप्रेलको मैं बम्बई लाकर छोड़ दिया गया।

इतने ही समयमें मेगे गिरफ्तारीका समाचार सारे भारतमें फैल गया। अहमदाबाद, वीरगांव और गुजरातमें इसका विशेष प्रभाव पड़ा। जतनामे घोर उत्तेजना फैल गई। दुकाने बन्द हो गई कारबार रुक गया, चारों तरफ भीड़ इकट्ठा होने लगा और उपद्रव आरम्भ हो गया। विना किसी रोक टोकके उत्तेजित जनता जो कुछ कर सकती है वह हुआ। मारपीट लूट पाट, हत्या, आग लगाना, तारके सामानों को काट देना और गाड़ियोको लाइनों परसे उलट देना, इत्यादि सभी प्रकारके उपद्रव हुए।

उपद्रवका कारण

इमके गोड़े ही दिन पूर्व खैरागढ़की घटना हुई थी। उस समय मैने वहांके दीन किसानोंके साथ काम किया था।