पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१८८

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सत्याग्रहकी मीमांसा

उत्तर-आपका कहना बहुत ठीक है। पर भारत रक्षा कानूनका निर्माण एक आवश्यक स्थितिके लिये किया गया था।

उस समय यूरोपीय महासमर हो रहा था। युद्धके दिनोंमें घरकी अशान्ति या कलह बड़ी ही भयानक होती है। यदि भारतमे किसी तरहकी अशान्ति उत्पन्न हो जाती तो युद्धपर इसका बहुत बुरा असर पड़ता । इसीलिये इस कानूनका निर्माण किया गया कि प्रत्येक व्यक्ति इस काममे सरकारकी सहायता करे जिससे इस समय किसी भी भांति देशमें हिंसावृत्ति न जागने पावे। और व्यवस्थापक सभामें बड़ी ही खींचातानीके बाद इसपर अनुमति दी गई थी। पर रौलट ऐकृ भारतरक्षा विधानसे एकदम भिन्न है। दूसरे, भारतरक्षा कानूनका जिस प्रकार दुरुपयोग किया जा रहा है उससे भी इस विधानके विरोधकी अधिकाधिक आवश्यकता प्रतीत होती है।

प्रश्न-मिस्टर गान्धी, आपको मालूम होगा कि रौलट ऐकृका प्रयोग तभी सम्भव है जब प्रान्तीय सरकारको यह पक्का विश्वास हो जाय कि देशमें अराजकताकी सम्भावना है ?

उत्तर–पर व्यवस्थापकको हैसियतसे मैं उस प्रवन्धक विभा- गके हाथोंमे इतना भी अधिकार नहीं देखना चाहता जिसे मैंने समय समयपर इस देशमें पागलोंकी भांति काम करते देखा है ।

प्रश्न-इससे विदित होता है कि आपके विरोधका कारण यह है कि भारतसरकारने किसी उपयोगी कानूनके बारेमें गलत तरीकेसे काम लिया। तो क्या इस बातका प्रतीकार कानूनी