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सत्याग्रहकी मीमांसा

उत्तर-नहीं, पालवाल तक जानेमें मैं कानून तोड़ चुका था क्योंकि नोटिस पहले ही तामील की जा चुकी थी। इस लिये मुझसे लौट जाने के लिये नहीं कहा गया बल्कि मुझे गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिसकी निगरानीमें बम्बई पहुंचाया गया।

प्रश्न-आपने जो कुछ कहा है उससे तो यह मतलब निकलता है कि सरकारने आज्ञापत्र द्वारा आपको सूचित किया था कि आपको दिल्ली और पञ्जाब जानेकी मनाही है, इस लिये आप इन प्रान्तोंमें नहीं घुसने पावेगे पर यदि बम्बई प्रान्तमें ही रहना चाहें तो वहां आप सुखपूर्वक, स्वतन्त्रताके साथ विचर सकते हैं ?

उत्तर -हां, यही मतलब था।

प्रश्न-तब तो इससे और आपको गिरफ्तारकर जेलमें भेज देनेमें कुछ भेद अवश्य है। क्या आप भी इसे स्वीकार करते है ?

उत्तर--पर मैं तो इसके सम्बन्धमें कोई अन्य बात नहीं कह रहा हूं। मेरा तो केवल यही कहना है कि सरकारको कोई अधिकार नहीं था कि वह मुझे इस प्रकार रोक कर मेरे शान्ति स्थापित करनेके कार्यमें बाधा डालती।

प्रन–पर यदि सरकारके हृदयमें इस बातका पक्का विश्वास जम गया हो कि आपके पञ्जाब या दिल्लोमें जानेसे अशान्ति और भी बढ़ जायगी, जिस आन्दोलनके कारण लोगोंमें पूर्ण