पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२१८

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सत्याग्रह मीमांसा

उत्तर---हां, बड़ी आसानीसे। सविनय अवज्ञाके अंशको छोड़कर वह अन्य सभी अंशोंमें भाग ले सकता है। सर्वसाधा. रण जबतक व्रत ग्रहण करके प्रतिज्ञापत्रपर हस्ताक्षर न कर लें तबतक वे सविनय अवज्ञाके अंशको कार्यक्रममें नहीं ला सकते । इसीलिये जो सविनय अवज्ञा नहीं करना चाहते थे उनके लिये यह दूसरा प्रतिज्ञापत्र तैयार किया गया था कि वे हरतरहसे सत्य- का पालन करेंगे और हिंसाको प्रवृत्तिसे दूर रहेंगे। उस समय मैंने सविनय अवज्ञा बन्द कर दी थी। चूंकि यह निश्चय कर लिया गया था और सञ्चालकको यह अधिकार दे दिया गया था कि वह आवश्यकता और स्थितिके अनुसार सत्याग्रहके किसी भी अंशपर जोर दे सकता है, इसलिये मैंने सविनय अवज्ञाके अंशको छोड़ दिया क्योंकि इसका पालन जनताकी मानसिक स्थितिके बाहर था और सत्य पालनके अंशपर अधिक जोर दिया और उसीपर उनकी दृष्टि आकृष्ट की।


प्रश्न---क्या सत्याग्रह व्रतमें रौलट ऐकृके विरोधकी चर्चा प्रत्य. सरूपसे की गई थी? क्या इस विषयमें आपस और मिसंज एनी वेसेएटसे किसी तरहका मतभेद था।


उत्तर—--बम्बईमें मुझे मालूम हुआ कि मिसेज बेसेण्टने भी सत्याग्रहका व्रत ग्रहण किया है केवल उन्होंने कानून भङ्ग करने- के लिये जो शिफारिस कमेटी बैठाई गई थी उसीकी सत्ता खीकार नहीं की है। पर बादको उन्होंने कहा था कि मैंने सत्याग्रहको प्रतिक्षा नहीं की है।