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सत्याग्रह आंदोलन

प्रश्न---क्या उन्होंने यह नहीं लिखा था कि रौलट ऐक नम्बर एकका विरोध करनेका अभिप्राय अराजकता स्वीकार करना है?


उसर---हां, उन्होंने इस विषयपर लेख लिखा था। पर निश्चय यह किया गया था कि रौलट ऐकृको किसी व्यवस्थित रूपसे तोड़नेकी चेष्टा न की जायगी।


प्रश्न---सत्याग्रह आन्दोलनका भीतरी भाव सरकारको तङ्ग करनेका है ?


उत्तर---कदापि नहीं। सत्याग्रहीकी आन्तरिक इच्छा कभी भी किसीको तङ्ग करनेकी नहीं रहती। वह सदा अपनी आत्माको सङ्कटोंके सामने रख कर ही विजय लाभ करना चाहता है।


प्रश्न---पर क्या सत्याग्रह व्रतको चलाने में सङ्गठित सरकारका काम असम्भव नहीं हो जायगा ?


उत्तर---यदि कानून भङ्ग करनेवाले सच्चे सत्याग्रही है और पूर्ण अहिंसासे काम लेते हैं तो सरकारके कार्य सञ्चालनमें किसी तरहकी वाधा नही पड़ सकती। पर यदि सरकारने अपनी विचार शक्ति एकदमसे त्याग दी है तो उसका कार्य असम्भव कर देना ही उचित होगा।


प्रश्न---सत्याग्रह व्रत ग्रहण करनेवालोंके नाम आपने जो संदेशा भेजा था उसमें आपने लोगोंसे नम्र निवेदन किया था कि किसी भी तरह :हिंसाको स्थान नहीं दिया जाय, फिर भी