पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
५८
सत्याग्रह आन्दोलन


हवाले कर देना चाहते थे पर उन्हें साहस नहीं होता था। सूचना देनेवालोंमेंसे चन्दको मैं सिनाख्त भी कर सकता हूँ पर सबको पहचानना कठिन है। आसपासके नगरोंसे अनेक लोग मेरे पास आये और अपने आचरणपर आन्तरिक खेद प्रगट करते थे। उन्होंने साफ साफ कह दिया कि जो कुछ हम लोगोंने किया उसका प्रधान कारण हमलोगोके हृदयमे आपके प्रति प्रेम और श्रद्धा भक्तिकी पराकष्ठा थी ।


प्रश्न-मिस्टर गांधी, आप यह किस तरह कह सकते हैं कि जो कुछ उन्होंने कहा, सच है ?


उत्तर-मैं समझता हूं कि मुझमें इतनी योग्यता अवश्य है कि मैं सच झूटका पता लगा सकू। उन लोगोंने जनताकी उत्ते- जनाका दुरुपयोग किया और इस प्रकारके भाव उनके दिलमें भर दिये। खैरागढ़में गाड़ी उलटनेकी सारी जिम्मेदारी केवल दो या तीन व्यक्तियों पर है। तीनों पक्क शराबी हैं। इससे मैं नहीं कह सकता कि उनकी यह कार्रवाई किसी चेष्टासे हुई है और उन्होंने इसके लिये पहलेसे ही प्रबन्ध किया था। मेरी तो यही धारणा है कि नगरवासियोंको इस दुर्घनाका पता नहीं था नहीं तो इसके रोकनेकी अवश्य ही चेष्टा कीगई होती। जो कुछ मैं कह रहा हूं इसका आधार उन कतिपय मनुष्योंका बयान है जिसके ऊपर मेरी असीम श्रद्धा है। मैं यह नहीं कह सकता कि जिन लोगोंको दण्ड दिया गया है वे वास्तवमें दोषी हैं क्योंकि मुझे उनका नाम याद नहीं है।