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सत्याग्रहकी मीमांसा

रता देखी है। मैं आपसे यही प्रार्थना करूंगा कि इस प्रश्न पर आप अधिक पूछताछ न करें । मैंने पहले ही स्वीकार कर लिया है कि अप्रैल मासमें बम्बई सरकारने जिस साहस, धैर्य और सहिष्णुताका परिचय दिया उसके सामने शिकायतकी कोई बात नहीं रह जाती।

पर जब मैं सम्पूर्ण स्थितिकी पड़ताल करता हूँ तो यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अत्यन्त नम्रताके साथ उसकी भूलोंको भी बतला दू। और मैंने वैसा ही किया है। मैं इस बात पर जोर देकर कि चन्द बेकसूर भी मारे गये इस शिकायतको बड़ा नहीं बना देना चाहता।

मिसृर केम्प–महात्माजी, इस बातको मैं बड़े हर्षके साथ स्वीकार करता हूं कि आपका बयान साफ, स्पष्ट और सखा है। अब आपको अधिक कष्ट नहीं देना चाहता।