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सत्याग्रह आंदोलन


बिताया। मुसलमानों पर ( खिलाफतके कारण )</br जो विपत्तिका पहाड़ गिरा था उसमें हिन्दुओं की सच्ची सहानुभूति थी । इससे मुसलमानों की आशालता और भी हरी भरी हो गई और दोनों का सम्बन्ध और भी दृढ़ हो गया। यह सम्बन्ध इतना दृढ़ हो गया है कि उसका तोड़ना अतिकठिन है ।

यदि कोई प्रश्न करे कि गत वर्ष कौनसी उल्लेख योग्य और महत्वपूर्ण घटना हुई तो हमलोग नि:सङ्कोच कह सकते हैं कि राजा और प्रजा दोनोंने सत्याग्रहका व्रत ग्रहण किया । उस व्रतकी मर्यादा कितनी भी कम क्यों न हो, चाहे उसे अनजानमें ही क्यों न स्वीकार किया गया हा । अपने कथनके समर्थनमें हम १७ अक्त बरका उल्लेख कर देना हो पर्याप्त समझते हैं ।

भारत की सम्पूर्ण आशाका फलवती होना एकमात्र सत्याग्रहपर निर्भर है। पर सत्याग्रह है क्या ? समय समयपर हमने इसकी मीमांसा की है। जिस तरह सहस्र मुखवाले शेषनाग भी सूर्य भगवान की बखान पूर्ण रूपले नही कर सकते, उसी प्रकार सत्याग्रह सूर्यका वर्णन करना भी अति कठिन कार्य है । वह नहीं हो सकता। जिस प्रकार हम लोग सूर्यको प्रतिदिन सुबह से शामतक देखते रहनेपर भी उसके बारे में बहुत कम जानते हैं उसी प्रकार हम लोग सत्याग्रह सूर्यको देखते रहने पर भी उसकी उपयोगिताके बारेमें बहुत कम जानते हैं ।

सत्याग्रहकी परिधि (सोमा ) के अन्दर तीन बातें आ आती हैं :--- स्वदेशी, सामाजिक सङ्गठन और राजनैतिक सुधार ।