पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३१
पंजाबका सन्देश

कौंसिलने खारिज कर दो। इस संवादको भी पंजाबके निवासी अमृतका घूट समझ कर पो जायंगे। अनेक निर्दोष व्यक्ति, बड़े बड़े नेतागण जेलमें भेज दिये गये, कितनोंका सर्वस्व लुट गया, कितने अनाथ हो गये, सैकड़ों को अब दान और सदावर्तका मुंह ताकना पड़ रहा है। पर गिनेगिनाये कुछको छोड़कर सभीने इन यातनाओंको पूर्ण शान्ति और सहनशीलताके साथ वर्दाश्त किया। यह सत्याग्रहके सन्देशका प्रभाव था। सुख और दुःख, जेल और राजमहल, जीवन और मरण आज एक ही प्रश्नके भिन्न भिन्न रूप हो रहे हैं। यदि हममें सत्यबल है तो हम डायर अथवा ओडायरका भय क्यों करें? हम लोगोंका सत्यबल हमें स्वतन्त्र कर देगा। आज पंजाबसे आवाज आ रही है :-

दुर्बलोंके पास आत्मबलका अभाव रहेगा।

यदि आज पंजाब अपने शत्रुओंको क्षमा कर देता है तो यह दुर्ब-लोकी भययुक्त क्षमा नहीं है बलिष्ठोंके हृदयकी असीम उदारताके लक्षण हैं।