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राजनैतिक वन्धुत्व'

रही है तो इसका कारण जेनरल डायर को उस वर्षरता और अत्याचार की स्मृति नहीं है बल्कि यह सत्याग्रह का प्रभाव है जो उनकी इच्छा के प्रतिकूल भी उन्हें हाथ उठाने से रोक रहा है। इन अनुचित अक्षेपों से सत्याग्रह को बरी रखने के लिये मैं सफाई देने में जनताको अधिक काल तक अटकाना नहीं चाहता। यदि वास्तव में सत्याग्रह भारत की जनता पर अपना कुछ भी प्रभाव डालने मे समर्थ हुआ है तो निश्चय है कि इस तरहके आक्षेपों को पार करके वह और भी देदीप्यमान हो गया है जिनका उल्लेख हण्टर कमेटी के अधिक संख्यक सदस्यों ने किया है और जिनका अंशतःसमर्थन अल्पमत सदस्योंने किया है। यदि अल्पमत सदस्यों की रिपोर्ट में केवल इतना ही दोष होता तो हर तरह से उसकी प्रशंसा ही की जाती क्योंकि राजनैतिक क्षेत्र में सत्याग्रह नया अनुभव था और यदि कोई व्यक्ति विना दीर्घ विचार किये इसके साथ किसी भी अशान्ति को जोड़ दे तो वह अक्षम्य है।

कमेटी की रिपोर्ट पर तथा भारत सरकार के खरीते पर जनता- ने एक मत से जो विरुद्ध मत प्रगट किया है उसको स्मरण कर अत्यन्त कष्ट होता है। सदस्यों ने पञ्जाब के अधिकारियों की करतम तथा वर्वरतायुक्त प्रायः प्रत्येक आचरणों और कार्रवाइयों की सार्थकता दिखलाने की तथा उनपर सफेदी पोतने को जी जान से चेष्टा को है और यदि कहीं निर्भत्स्ना की है तो