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पंजाब की दुर्घटना


वहां वे कैसा करने के लिये लाचार थे क्योंकि उन कर्मचारियों ने अपने मुहसे अपने दोषों को स्वीकार किया है । जेनरल डायर ने अपनी कूरतम करनी को कबूल किया है पर कमेटीके सदस्यों ने उतने परमी उसको नृशंस कार्रवाई के समर्थन करने की ही चेष्टा की है। सर माइकल ओडायर ( जो उस समय पंजाब के छोटे लाट थे) की उद्दण्डता और उच्छकुलता के कारण ही उनके मातहदों ने इस प्रकार को कार्रवाई की थी और यह सब जानते हैं कि वही प्रधान अपराधी है। फिरक्षभी कमेटी के सदस्यों ने उसकी प्रशंसा के पुल बांध दिये हैं और अप्रेल को दुर्घटना के पहले के उसके अत्याचार को समीक्षा परीक्षा तथा जांच करने से इनकार कर दिया है। उसके आचरण इतने दोषपूर्ण थे कि कमेटी को उसपर पूर्ण विचार करना चाहिये था। अधिकारीवर्ग की ओर से जा बातें कही गई उन्हो पर भरोसा न करके, उन्हें ही सर्वथा सच न मानकर कमेटी को उचित था कि वह अपनी विवेक बुद्धि से काम लेती और उपद्रव के असली कारण को ढूंढ निकालने की चेष्टा करती। इन उपद्रवों की असलियतका पता लगाने के लिये उसे हर . तरह के उपायोंका प्रयोग करना चाहिये था। कमेटी का कर्त्तव्य था कि वह अधिकारियों द्वारा खड़ी को गई झूठ को मोटी टट्टी फाड़कर वह भीतर प्रवेश करती और सच्चा कारण ढूंढ ' निकालती। पर ऐसा न करके कमेटी ने केवल सरकारी बयानों पर भरोसा करके भारी भूल की ।