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राजनैतिक वन्धुत्व

हमलोग इससे उत्तम अस्त्रका प्रयोग कर सकते हैं। हिंसाके अस्त्रके एकदम प्रातकूल इस शस्त्रके प्रयोगमे धैर्य तथा आत्मबलकी नितान्त आवश्यकता है पर साथ ही साथ साहस और दृढ़ताको भी आवश्यकता है। वह तरीका यह है कि हमें उन बुराई करनेवालोंके साथ सहयोग करना छोड़ देना चाहिये। जालिम अपने जुल्ममे कभी भी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता यदि उसके सहायक जुल्म भोगनेवालोंमेंसे न हों अर्थात् जिनपर वह अत्याचार करना चाहता है उनकी सहायता विना वह अपने अत्याचारको कभी भी चरितार्थ नही कर सकता, चाहे वह उनको सहायता वलप्रयोगसे ही क्यों न ले। अधिक- तर लोग अत्याचारीके अत्याचारके प्रतिरोध करनेके बनिस्वत उसको चुपचाप सहलेना ही अधिक उचित समझते हैं और यही कारण है कि अत्याचारीका अत्याचार दिन दिन बढ़ता जाता- है। इतिहासमें ऐसे भी अनेक उदाहरण मौजूद हैं जहां प्रजा. की दृढ़ताने अत्याचारियोंके अत्याचारको चरितार्थ नहीं होने दिया है। भारतके लिये भी इस समय विचारका प्रश्न उपस्थित हो गया है। यदि हमलोग यह मानते हैं कि पञ्जाब सरकारकी कार्रवाइयां क्रूर है, यदि लाई हएटरकी कमेटीकी रिपोर्ट, भारत सरकारके खरीते तथा भारतमन्त्रीका उत्तर और भी असत्य है क्योंकि इन लोगोंने अधिकारियोंकी इन कार्रवाइयों- का समर्थन किया है तो हमलोगोंको सरकारकी इस घृणित कार्रवाइको कभी भी स्वीकार नहीं करनी चाहिये। यदि आप-