पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३७१

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पेनिंगटनके प्रश्र्नोंका उत्तर


था वहां भी आपने कुछ नहीं लिखा है। उदाहणार्थ, उस भयानक दिन तो न आप ही जालियांवाला बागमें उपस्थित थे और न मैं ही। इसलिये यह कसे कहा जा सकता है कि उपस्थित जनता सशस्त्र थी अथवा नि:शस्त्र । सभाबन्दोंके कानूनों का घोषणा करने के बाद सभा करना नाजायज कार्रवाई थी और इम लिये वह सभा 'मजमा नाजायज' थी, इसे तो आप अवश्य म्वाकार करेंगे और जब प्रातःकाल ॥ घण्टेतक जेनरल डायर स्वयं नगरमें घूम घूमकर इस बातकी घोषणा कर रहे थे कि किसी किस्मका जलसा करना गैरकाननी समझा जायगा तो यह कहना व्यर्थ है कि किसीको इसकी सूचना नहीं थी। आपने लिखा है 'वे प्राय: छुट्टी मनानेवालों में से थे। पर इसके लिये आपने काई प्रमाण नहीं दिया है। और उसी समय छुट्टो मनाने- वालोंका अमृतसरमें ऐसा जमाव कयाससे बाहर है। मैं आपके इस कथनका अभिप्राय भलो भांति नहीं समझ सका। घटनास्थल पर केवल जेनरल डायर ही उपस्थित नहीं थे। इसलिये यह मान लेना असम्भव है कि निर्दोष छुट्टी माननेवालोंपर लगातार गोली चलानेसे वह रोक न दिये गये होते। इस तरहकी कार्रवाईका कत्ले आमसे कम नहीं कहा जा सकता और स्वयं सैनिक ही इसे करना स्वीकार न किये होते। आपने जनताकी ज्यादतियोंका जिक्रतक नहीं किया है, जिनसे घबरा कर जनरल डायर इस तरहकी भीषण कार्रवाई के लिये लाचार हो गये। मैं देखता हूँ कि आपकी