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पेनिंगटन के प्रश्नों का उत्तर

ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई जिसका उल्लेख जनरल डायर के पक्ष में की जा सके।

मि० पेनिङ्गटन ने अपने नोट में डण्डा फौज की चर्चा करते हुए लिखा है कि यह दल छोटी छोटी मोटी लाठियां लेकर आक्रमण करने के लिये तैयार था। पर अनुसन्धान करने से इस दल का कहीं पता तक नहीं लगता । अमृतसय में कोई भी बलवाई भीड़ नहीं थी ।

जिन लोगों ने इतना उपद्रव किया, जान माल पर हमला किया, इमारतों में आग लगा दी, उनमें किसी जाति विशेष के लोग नहीं थे। पोस्टर केवल लाहोर में चिपकाया गया था, अमृतसर में उसका निशान नहीं था। मिस्टर पेनिंगटन को यह भी जानना चाहिये कि १३ अप्रैल की सार्वजनिक सभा अन्य बातों के साथ साथ जनता की ज्यादतियों की निन्दा करने के लिये भी की गई थी, अमृतसर के अभियोगों से यह प्राय हो गया है। जो लोग जेनरल डायर के साथ थे वे उसे नहीं रोक सकते थे। अपने बयान में उसने कहा है, कि मैंने क्षणभर में गोली चलाने का निश्चय किया। उसने किसी से परार्मश नहीं किया। मिस्टर पेनिंगटन ने लिखा है कि ऐसी अवस्णमें यह असम्भव था कि सैनिक भी उसकी बात स्वीकार करने के लिये राजी हो जाते' । मुझे शक हो रहा है कि मिस्टर पेनिंगटन यह लिखते हुए भारत की अवस्था को सर्वथा भूल गये थे। यदि भारतीय सैनिकों में निहत्थों पर हाथ उठाने की आज्ञा की अवज्ञा करने की इस तरह की क्षमता आ आती तो