पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३८९

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राजनैतिक संरक्षण

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( जून ३०, १९२० )

हण्टर कमेटीकी रिपोर्टपर भारत मन्त्रीने जो खरीता भेजा है उसके पढ़नेसे स्पष्ट हो जाता है कि सरकारी कर्मचारियोंके अत्याचारों पर सफेदी पोतनेका उन्होंने हरतरहसे प्रयत्न किया है। उनकी चेष्टाका एक नमूना यह है कि मार्शल लाके जमाने में किये गये अत्याचारोंकी निन्दा उन्होंने कहीं कहीं दबी जबानमें की है और फिर एकाएक उन्होंने मार्शल ला मैनुएलमें भविष्यके लिये कुछ रक्षाके उपायोकी विवेचना की है जिसपर भारत सरकार इस समय विचार कर रही है। कदाचित इस मार्शल ला मैनुएलका निर्माण सर्वसाधारणकी उस मांगकी पूर्ति के लिये किया जा रहा है जो भविष्यको रक्षाके लिये लोगोंने चाहा है। किसी भी ऐसे मैनुएलको स्वीकार करनेके लिये हम लोग तैयार नहीं है जिसके अन्तर्गत सब्कमेटोको पूरी मांगे नहीं आ जाती। रौलट ऐकृको रद्द किये बिना ही किसी इस प्रकारके मैनुएलके निर्माणसे कानूनकी पुस्तकोंके पन्नोंका रगना उसोके बराबर है जैसा कि रोगीके शरीरके विषको पूरी तरहसे निकाले बिना ही उसे पुष्टई देनेका यत्न करना। जब तक रौलट ऐकृ रह नहीं कर दिया