पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३९२

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रवीन्द्रनाथ ठाकुरका सन्देश

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( अप्रेल १३, १९२० )

पंजाबमें कानून के नामपर घोर अत्याचार किया गया है। पापियोंके इस तरहके उत्पात उनके अन्तर्गत सिद्धान्नोंकी दुर्बलताके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। जो विश्वव्यापी भीषण युद्ध विगत चार वर्षोंसे ईश्वरकी पवित्र सृष्टिको अग्नि और विषसे नाश करता आया है उसीका भीषण परिणाम यह जलियांवाला बागको दुर्घटना है। जो रक्तकी नदियां बहाई गई हैं, जो पापाचरण मनुष्यताके नामपर किये गये हैं उनसे उन लोगोंके मनमें---जिनके हाथमे शक्ति है पर जिनके प्रतिवन्धके लिये न तो हृदयमें दया है और न वाहर रोकने- वाली कोई शक्ति है-एक तरहकी कठोरताका जन्म हो गया है। अधिकार सम्पन्न शक्तिकी यह दुर्बलता---जिसने अपनी मशीन गनोंका प्रयोग निःशस्त्र और अनजान जनता पर किया, न्यायके नामपर झठ मूठ परम पिताकी सन्तानपर असह्य अत्याचार किया, उनका अपमान किया और साथही अपने इस हेय और घृणित आचरणोंको एक क्षणके लिये भी नीच और पतित समझ कर पश्चात्ताप नही किया---का जन्म इसी विगत युद्धसे हुआ है, जिसमें मनु.