पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४५६

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खिलाफतकी समस्या

हिमाके मार्गले सर्वथा दूर रहनेकी चेष्ठा करता है तो मैं ऐसे निर्दोषोंकी लाखोंकी संख्या बलिदान देते नही हिचकूगा। सत्याग्रह आन्दोलनमें सत्याग्रहियोंकी भूलों पर ही सबसे अधिक ध्यान रखना होता है क्योकि उन्हीसे सबसे अधिक हानि होनेकी सम्भवना रहती है। शक्तिशाली मजबूत व्यक्ति केवल भूल ही नहीं बल्कि पागलपन भी कर सकता है और यदि जनताने बलवानों और शक्तिशालियोंके मदमत्त पागलपनका जवाब उमी तरह नहीं दिया और उसको शान्तिके साथ बर्दाश्त कर लिया तो विजय निकट है। पर इस बात का सदा ध्यान रहे कि सत्याग्रही किसी भी प्रकार उस अत्याचारीकी आशाओं के सामने सिर नहीं झुकाता। हम लोगोंकी सफलताकी कुजी इसीमें है कि हम लोग प्रत्येक अग्रेजकी जान तथा प्रत्येक सरकारी कर्मचारीकी जान उतनी ही प्यारी और बहुमूल्य समझे जितनी हम अपनी समझते है। विगत ४० वर्षों के उद्बोधनमें मुझे जो अनुभव मिला है उससे मैंने यही सार निकाला है कि जीवनदानसे बढ़कर कोई भी उत्तम उपहार नहीं हो सकता। मैं दृढ़ता और साहसके साथ कह सकता हूं कि जिस समय अंग्रेज लोगोंको यह विश्वास हो जायगा कि यद्यपि हमारी संख्या भारतमें नितान्त हीन है तथापि मेरी जान मालकी पूर्णतया रक्षा हो रही है और इसका कारण हमारे हाथमें अनेक तरहके नाशकारी और विषेले अस्त्रोंका होना नहीं है बल्कि उसका कारण यह है कि भारतीय उन लोगोंके प्राणोंका नाश करना भी उचित नहीं समझते जिन्हें वे भीषण भूल करते पाते हैं