पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४८७

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तुर्कीका प्रश्र्न ‌।

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( जून २१, १९१९ )

यदि हम अपने मुसलमान भाइयोंक्षकी सदिच्छा चाहते हैं तो हमें यही उचित है कि इस संकटके समय जबकि युरोप में तुर्की राष्ट्रीयता को मटियामेट करनेका प्रयत्न होरहा है हम उनका साथ दें। यह नितान्त दुःख की बात है कि इस प्रयत्न में ब्रिटनका सबसे अधिक हाथ है। हिन्दुओका मुसलमान धर्मसे किसी बातका भय नहीं होना चाहिये । न तो उनकी इस्लामिक स्पर्धा भारतीयों-विशेषकर हिन्दुओंके-खिलाफ है और न हो सकती है। मुसलमानों का कर्तव्य है कि वे प्रत्येक मुसलमान राज्यके साथ सहानुभूति रखें और यदि उनपर किसी तरहकी विपत्ति आवे तो यथाशक्ति उनको सहायता करें। और यदि मुसलमानोंक साथ हिन्दुओंकी सच्ची सहानुभूति है तो उन्हें भी उनका साथ देना चाहिये । इसलिये हमारा कर्तव्य है कि हम लोग इस समय मुसलमानों का साथ दें और यूरोपीय तुर्कों का नाश तथा लोप होने से बचाऐं ।

मुसलमान इस बातसे भयभीत हैं कि कहीं ब्रिटिश अंगोरा के खिलाफ यूनानियों का साथ न दे । पर हिन्दुओं को इससे घबराना नहीं चाहिये । यदि ब्रिटन इतना पागल हो जायगा कि वह