पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४८९

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तुर्कीका प्रश्र्न


केवल आशासे स्वराज्यके लिये सयत्न हो रहे हैं कि अन्तोगत्वा इङ्गलैण्ड सच्चा साबित होगा और अपने वचन को पूरा करेगा पर यदि उसने दगा किया तो हम पूर्ण स्वतन्त्रता को चेष्टा करेंगे । पर जब यह बात भली भांति प्रगट हो जाय कि ब्रिटन तुर्को के नाश के लिये तुला है तो भारतीयों के लिये केवल पूर्ण स्वधीनता प्राप्त करनेका ही मार्ग खुला रहता है। और जब तुर्को का भविष्य एकदम अन्धकार में डाल दिया गया है, उसकी स्थिति डावांडोल हो रही है ऐसे समय में मुसलमानों के लिये तो एक दम भी पीछे रहने का अवसर नहीं है। यदि उनकी शक्ति में होगा तो वे तलवार उठा लेंगे और बहादुर तुर्को का साथ देकर या तो विजयी होंगे या कट मरेंगे। पर यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया- जिसकी ब्रिटिश सरकार की नीति के कारण सम्भावना है तो वे उस सरकार के साथ अपना सम्बन्ध तो अवश्य तोड़ देंगे जो इस प्रकार नीचता के साथ तुर्को से युद्ध ठान रही है। हिन्दुओंका कर्तव्य भी निर्दिष्ट है। यदि हमें अब भी मुसलमानों से भय है और उनमें अविश्वास है तो हमें ब्रिटन का साथ देकर अपनी दासता की बेड़ी को और भी कड़ी करवा लेनी चाहिये। यदि हम लोग काफी साहसी और धार्मिक हैं कि अपने देशभाइयों, मुसलमानों से हम नहीं डरते, और यदि उनमें विश्वास करनेकी दूरदर्शिता हममें है तो हमें मुसलमानोंके साथ पूर्ण मेलके साथ काम करना चाहिये और भारतको स्वतन्त्रताके लिये जितने भी शान्तिमय मार्ग हो सबका अनुसरण उनके साथ करना चाहिये ।