पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५०५

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खिलाफतका प्रश्न


जानने की चेष्टा की होती तो उसे विदित हो गया होता कि अरब राज्य के साथ सम्बन्ध करके मिस्टर लायड जार्ज ने जो कठिनाई उपस्थित कर दी थी उसका भी निपटारा हो गया। तुर्कों के प्रश्नपर सिद्धहस्त लेखक बम्बे क्रानिकिल के सम्पादक मिस्टर मर्माड्यू क पिकेटहालने पहली जुलाई के अङ्क में लिखा है---जिस तरह से लार्ड क्रोमर ने एक बार मेरी राय ली थी उसी प्रकार यदि हमारे शासक मेरी राय लेनेकी परवा करें तो मैं उनसे अतिनम्र भाव से कहूंगा कि, मेरी समझ में यदि आप साम्राज्य को अप्रतिष्ठा, बेईजतो और अङ्गभङ्ग होनेसे बचाना चाहते हैं तो आपका उचित है कि 'मर्यादा' को इस समय भूल जाइये और जरासा अपमान सह लीजिये । पर इससे भी सहज आपके निकास का उपाय है। आप अरबों को एक संघ में सङ्गठित करके उन्हें स्वायत्त शासन दे दीजिये । इसके कर लेने के बाद आपको लीग आफ नेशन्स से इसके लिये 'मैंडेट' लेना पड़ेगा। उनकी देख रेख कौन करेगा और उनकी रक्षाका कौन जिम्मेदार होगा? तुर्को को लीग में सम्मिलित करना आवश्यक है। मुसलमान लोग इस पर अधिक जोर दे रहे है। अरबों की देखरेख और रक्षा की जिम्मेदारी का 'मैंडटे' तुर्काको दे दीजिये । इससे सब प्रसन्न हो । जायंगे। आपकी दूरदर्शिता की प्रशंसा करेंगे और आप इस दलदल में से आसानी से छुटकर निकल जायंगे। इसपर कितनों का कहना है कि ऐसा करने से तो हम लोग पुनः उसी अवस्था पर पहुच जाते हैं जहां से हम लोग उठे हैं और जिसका